Ad.

हाश्य की बाते


रजाई के लिये सर्दी के मौसम मे एक स्टूडैन्ट हॉस्टल से
अपने पापा को खत लिखता है । लेकिन उसके कुछ शरारती
दोस्त रजाई की जगह लुगाई लिख देते है ।
3 इडियट फ़िल्म की तरह। और जब पापा खत पडते है तो.

आदरणीय पापाजी !
चरण स्पर्श,
मैं यहां ठीक हूँ और आशा करता हू कि आप लोग सब अच्छे से होगे।
आगे समाचार यह है कि मेरी लुगाई पुरानी और बेकार हो गई है ।
और यहॉ सर्दी अधिक पड रही है । अभी दोस्तो की लुगाइयों से काम
चल रहा था लेकिन सर्दी अधिक पडने से वे भी अपनी लुगाई देने मे
आना कानी करते है ।

मेरे लिये एक लुगाई का इंतजाम कर दो ।
नई ना ला सको तो बडे भैया की लुगाई भेज दो ।
बडे भैया की ना मिले तो मझले भैया की लुगाई भेज दो ।
सर्दी मे बुरा हाल है । दो भाईयों मे से किसी एक की लुगाई जरूर भेज दो।
दोनों मे से किसी की भी न भेज सको तो पैसे भेज दो
मैं यहॉ किराये कि लुगाई ले लूंगा ।
आपका पुत्र 
के.पी.

उसका बाप और भाई घर से डंडे लेकर निकले हैं।
सोच सकते हैं क्या हाल होने वाला है उसका।

क्यों की हर 1 फ्रेंड कमीना होता है।

टमाटर का सूप ।

मूंगफली के दाने

छुट्टी के बहाने ।।
तबीयत नरम
पकौड़े गरम ।।

ठंडी हवा
मुँह से धुँआ ।।
फटे हुए गाल
सर्दी से बेहाल ।।
तन पर पड़े
ऊनी कपड़े ।।
दुबले भी लगते
मोटे तगड़े ।।
किटकिटाते दांत
ठिठुरते ये हाथ ।।
जलता अलाव
हाथों का सिकाव ।।
गुदगुदा बिछौना
रजाई में सोना ।।
सुबह का होना

सपनो में खोना ।।
हाश्य की बाते हाश्य की बाते Reviewed by Mainuddin Ansari on Tuesday, October 31, 2017 Rating: 5

No comments:

Bhojpuri Manoranjan Aur Bhaw

Powered by Blogger.