क्रिसमस डे की ढेर सारी सुभ कामनाये
आज से 1992 वर्ष पूर्व 25 दिसम्बर को ईसा मसीह का जन्म यरुशलम के बेतलहम नामकगाँव में हुआ था. उनके पिता का नाम जोसफ था और माता का नाम मरियम था.
ज्यों ज्यों ईसा बड़े होते गये उनका ध्यान सांसारिक कृतियों से हट कर
ईशवर की ओर लगने लगा. तीस वर्ष की आयु में उन्हें ‘जान’ नामक महात्मा ने ज्ञान दिया. तब से वह सत्य ज्ञान के प्रचार में लग गये।
ईसा मसीह लोगों से कहते थे (ईसा मसीह का उपदेश था की) ईशवर की आराधना करो, सब मनुष्योंसे प्यार करो, दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करो, जैसा तुम चाहते हो की वो तुम्हारे साथ करे. वे ह्रदय की सरलता व पवित्रता को महत्व देते थे. ईसा मसीह की लोकप्रियता के कारण कुछ लोगों को उनसे ईर्ष्या होने लगी.
उन्होंने यरूशलम में शासकों को ईसा के विरुद्ध भड़काया की ईसा घर्म व राज्य के विरुद्ध जनता को संगठित कर रहा है. फलत ईसा को प्राण दंण्ड दिया गया. उनके हाथ व पैरों में कीलें ठोककर उन्हें कूस पर लटका दिया गया.
ईसा मसीह की मृत्यु की पीड़ा के समय भी ईसा ने अपने विरोधियों के बारे में ईशवर से प्राथना करते हुए कहा (ईसा मसीह के वचन)
– “प्रभु इन्हें"क्षमा" करना क्योंकि ये नही जानते की ये क्या कर रहे है.”
ईसाई समुदाय के साथ गैर ईसाई समुदाय के लोग भी क्रिसमस
के दिन इकठ्ठे होते हैं और एक दूसरे को गिफ्ट्स देते हैं।
25 दिसंबर को ईसाई समुदाय के लोग यीशू मसीह के जन्मदिवस के रुप में मनाते हैं।
25 दिसंबर को हर साल क्रिसमस डे के रुप में मनाया जाता है। इस साल भी ढेर सारी
खुशियों और सेलिब्रेशन को लेकर क्रिसमस का त्योहार आ गया है।ईसाई समुदाय की मान्यता के अनुसार क्रिसमस से रौशनी का आरंभ होता है।इस दिन को यीशू मसीह के जन्मदिवस के रुप में मनाया जाता है।इस उत्सव पर अपने प्रियजनों को गिफ्ट्स देना, चर्च में आयोजन और सजावट करना शामिल होता है।क्रिसमस की पूर्व संध्या यानि 24 दिसंबर की शाम को ही इस पर्व का उल्लास अपने चरम पर पहुंचजाता है।इसी के साथ इस दिन पेड़ सजाने की परंपरा है और गिफ्ट्स, लाइट आदि से सजे हुए पेड़ को क्रिसमस ट्री के नाम से जाना जाता है।
25 दिसंबर को ईसाई समुदाय के लोग यीशू मसीह के जन्मदिवस के रुप में मनाते हैं।
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन ईसा मसीह का का जन्म हुआ था।चौथी शताब्दी से पहले ईसाई समुदाय इस दिन को त्योहार के रुप में नहीं मनाते थे, लेकिन चौथी। शताब्दी के बाद इस दिन ईसाईयों का प्रमुख त्योहार मनाया जाने लगा।माना जाता है कि यूरोप में गैर ईसाई समुदाय के लोग सूर्य के उत्तरायण के मौके पर त्योहार मनातेथे।इस दिन सूर्य के लंबी यात्रा से लौट कर आने की खुशी मनाई जाती है, इसी कारण से इसे बड़ा दिनभी कहा जाता है।इस दिन की प्रमुखता देखते हुए ही ईसाई समुदाय ने इस दिन को ईशू के जन्मदिन के रुप में चुना।क्रिसमस से पहले ईस्टर का पर्व ईसाई समुदाय का प्रमुख त्योहार माना जाता था।
क्रिसमस की बधाई।
क्रिसमस का त्योहार पूरे विश्व
में लोग धूमधाम से मनाते हैं। ईसाई समुदाय के साथ गैर ईसाई समुदाय के लोग भी इस दिन
इकठ्ठे होते हैं और एक दूसरे को गिफ्ट्स देते हैं। भारत में पाइन के पेड़ों की जगह
लोग आम और केले के पेड़ों को भी सजाया जाता है। बच्चे इस दिन गिफ्ट्स पाने के लिए बहुत
ही उत्सुक रहते हैं। क्रिसमस के दिन बच्चों में सांता क्लॉज को लेकर उत्सुकता रहती
है। सांता निकोलस को सांता क्लॉज के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म ईसा मसीह की मृत्यु
के लगभग 280 साल बाद मायरा नामक जगह पर हुआ था। उन्हें लोगों की मदद करना और सेवा करना
बेहद पसंद था, वो यीशू के कदमों पर चलते थे। इसी कारण वो यीशू के जन्मदिन पर रात के
अंधेरे में बच्चों को गिफ्ट दिया करते थे।
क्रिसमस डे क्या है, और इसे क्यों मनाया जाता है।
Reviewed by Mainuddin Ansari
on
Monday, December 25, 2017
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