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Satya Vachan 28 - संघर्ष और रिश्ते || Struggle And Relationships

भोजपुरी मनोरंजन भाव

👉 दूध को दुखी करो तो दही बनता है|

👉 दही को सताने से मक्खन बनता है|
👉 मक्खन को सताने से घी बनता है|
👉 दूध से महंगा दही है,दही से महंगा मक्खन है,और मक्खन से महंगा घी है|
👉 किन्तु इन चारों का रंग एक ही है सफेद|
👉 इसका अर्थ है बाऱ- बार दुख और संकट आने पर भी जो इंसान अपना रंग नहीं बदलता,समाज में उसका ही मूल्य बढ़ता है|
👉 दूध उपयोगी है किंतु एक ही दिन के लिए, फिर वो खराब हो जाता है....!!
👉 दूध में एक बूंद छाछ डालने से वह दही बन जाता है जो केवल दो और दिन टिकता है....!!
👉 दही का मंथन करने पर मक्खन बन जाती है, यह और तीन दिन टिकता है....!!
👉 मक्खन को उबालकर घी बनता है, घी कभी खराब नहीं होता....!!
👉एक ही दिन में बिगड़ने वाले दूध में कभी नहीं बिगड़ने वाला घी छिपा है....!!
👉इसी तरह आपका मन भी अथाह शक्तियों से भरा है, उसमें कुछ सकारात्मक विचार डालो अपने आपको मथो अर्थात चिंतन करो....अपने जीवन को और तपाओ और तब देखना
👉 आप कभी हार नहीं मानने वाले सदाबहार व्यक्ति बन जाओगे....!!
                       ......🙏#स्नेहवन्दन

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कुदरत ने हमसब को हिरा ही बनाया है।

बस शर्त ये है जो घिसेगा वही चमके गा।
जीवन में बुरी सांगत उस कोयले की तरह है।
जो गर्म हो तो हाथ जला देता है और
ठंढा होने पर हाथ कला कर देता है।
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स्वर्ग में सब कुछ है लेकिन मौत नहीं है,

गीता में सब कुछ है लेकिन झूठ नहीं है,
दुनिया में सब कुछ है लेकिन किसी को सुकून नहीं है,
और आज के इंसान में सब कुछ है लेकिन सब्र नहीं

किसी ने क्या खूब कहा है।  की
ना खुशी खरीद पाता हूँ ना ही गम बेच पाता हूँ
फिर भी मै ना जाने क्यु हर रोज कमाने जाता हूँ!
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✍धन आते ही सुख मिलेगा कोई गारंटी नही ,किन्तु !
ईन्सानियत आते ही जीवन सुखमय बनेगा, इसमे कोई संदेह नही ,
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✳कदम रुक गए जब पहुंचे

      हम रिश्तों के बाज़ार में...
✳बिक रहे थे रिश्ते
       खुले आम व्यापार में..
✳कांपते होठों से मैंने पूँछा,
      "क्या भाव है भाई
       इन रिश्तों का..?"
✳ दुकानदार बोला:
✳ "कौन सा लोगे..?
✳ बेटे का ..या बाप का..?
✳ बहिन का..या भाई का..?
✳ बोलो कौन सा चाहिए..?
✳ इंसानियत का..या प्रेम का..?
✳ माँ का..या विश्वास का..?
✳बाबूजी कुछ तो बोलो
      कौन सा चाहिए
✳चुपचाप खड़े हो
       कुछ बोलो तो सही...
✳मैंने डर कर पूँछ लिया
      "दोस्त का.."
✳दुकानदार नम आँखों से बोला:
✳"संसार इसी रिश्ते
      पर ही तो टिका है..."
✳माफ़ करना बाबूजी
      ये रिश्ता बिकाऊ नहीं है..
✳इसका कोई मोल
       नहीं लगा पाओगे,
✳और जिस दिन
       ये बिक जायेगा...
✳उस दिन ये संसार उजड़ जायेगा
    सभी मित्रों को समर्पित
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        " लब्ज़ ही ऐसी  चीज़  है

       जिसकी वजह  से  इंसान
    या  तो  दिल  में  उतर  जाता  है
       या दिल से उतर  जाता  है
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जहाँ यार याद न आए वो तन्हाई किस काम की,

    बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की,
    बेशक अपनी मंज़िल तक जाना  है,
    पर  जहाँ से अपने ना दिखे
  वो ऊंचाई  किस  काम  की

इंसान का फितरत यही है 
की वह किसी भी चीज का कद्र  
सिर्फ दो बार करता है। 
मिलने से पहले और खोने के बाद

हसकर जीना दस्तूर है जिंदगी का,
एक यही किस्सा मशहूर है जिंदगी का,
बीते हुए पल कभी लौट कर नहीं आते,
यही सबसे बड़ा कसूर है जिंदगी का,

Note:- धर्म सन्देश कृपया आप हमारे इस पोस्ट्स को  पढ़े।
Satya Vachan 28 - संघर्ष और रिश्ते || Struggle And Relationships Satya Vachan 28 - संघर्ष और रिश्ते || Struggle And Relationships Reviewed by Mainuddin Ansari on Friday, February 23, 2018 Rating: 5

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