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सत्य वचन -16 (वास्तव में ये है जिन्दगी का खेल )

प्यास लगी थी गजब की मगर पानी में जहर था, पीते तो मर जाते, अगर नहीं पीते तो भी मर जाते। 

बस यही मसले जिन्दगी भर नहीं हल हुए। 
न नींद पूरी हुई, न ख्वाब मुकम्मल हुए। 
वक्त ने कहा, काश थोड़ा और सब्र होता।
और सब्र ने कहा, काश थोड़ा और वक्त होता। 
सुबह सुबह उठाना पड़ता है, कमाने के लिए साहब।
आराम कमाने के लिए निकलता हु, आराम छोड़कर।
हुनर सड़को पर तमासा करता है, और किश्मत महलो में राज़ करता है। 
शिकायते तो बहोत है तुझसे ऐ जिंदगी, पर चुप इसलिए हु जो दिया तूने ओ भी बहुतो को नसीब नहीं होता । 
अजीब सौदागर है ये वक्त भी, जवानी का लालच देकर बचपन ले गया। 
अब अमीरी का लालच देकर, जवानी ले जायेगा।
लौट आता हु वापस बस घर के तरफ हर रोज थका हरा,
आज तक समझ नहीं आया की, जीने के लिए काम करता हु या काम करने के लिए जीता हु। 
थक गया हु तेरी नौकरी से ऐ जिंदगी, मुनासिब होगा की मेरा हिसाब कर दे। 
भरे जेब ने दुनिया की पहचान कराइ, और खली जेब ने अपनों की। 
जब लगे रूपया कमाने, तो समझ आया की शौक तो माँ बाप के रुपये से पुरे होते थे अपने रुपये से तो सिर्फ जरूरते पूरा होता है। 
हसने की इच्छा न हो, तो भी हसना पड़ता है। 
कोई जब पूछे की कैसे हो, तो मजे में हु कहना पड़ता है। 
ये जिंदगी का रंग मंच है दोस्तों, यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है। 
माचिस की जरुरत यहाँ नहीं पड़ती, यहाँ आदमी - आदमी से जलता है। 
दुनिया के बड़े - से - बड़े साइंटिस्ट ये ढूढ़ रहे है, की मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं।
पर आदमी ये नहीं ढूढ रहा, की जीवन में मंगल है की नहीं। 
सत्य बचन (वास्तव में ये है जिन्दगी का खेल )
Note:- धर्म सन्देश कृपया आप हमारे इस पोस्ट्स को  पढ़े।


सत्य वचन -16 (वास्तव में ये है जिन्दगी का खेल ) सत्य वचन -16 (वास्तव में ये है जिन्दगी का खेल ) Reviewed by Mainuddin Ansari on Wednesday, December 06, 2017 Rating: 5

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