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सत्य बचन -29 पांच कटुक सत्य || Five Veritable Truth

भोजपुरी मनोरंजन भाव
क 
अपना दर्द सबको न बताइये  साहब, मरहम एक आधे घर में होता  है, नमक हर घर में होता है।
कुछ नहीं मिलता दुनिया में मेहनत के बगैर, मेरा अपना साया भी मुझे धुप में आने के बाद मिलता है।
ऐना कब किसको सच बता पाया है, जब देखा दया, तो बया ही नजर आया है।
ये न पूछना जिंदगी खुसी कब देती है, क्यों की शिकायते तो उन्हें भी है जिन्हे  सब देती है।

वहम था की सारा बाग अपना है, तूफा के बाद पता चला की सूखे पतों पर भी हक़ हवाओ का है।

सुख भी मुझे प्यारे है.
दुःख भी मुझे प्यारे है.
छोड़ू मै किसे प्रभु दोनों ही तुम्हारे है।

सुख में तेरा शुक्र करू दुःख में फरियाद करू।
जिस हॉल तू रखे मुझेको, मै  तुम्हे याद करू.


मेहनत लगती है सपनो को सच बनाने में,
हौसला लगता है बुलंदियों को पाने में।
वर्षो लग जाते है जिंदगी बनाने में।
और जिंदगी फिरभी काम पड़  जाती है रिश्ते निभाने में।

गरीब मिलो चलता है भोजन पाने के लिए।
आमिर मिलो चलता है उसे पचने के लिए।
किसी के पास खाने के लिए एक वक़्त की रोटी नहीं।
किसी के पास एक रोटी खाने के लिए वक़्त नहीं।
कोई अपनों के लिए अपनी रोटी छोड़ देता है।
कोई रोटी के लिए अपनों को छोड़ देता है।
दौलत के लिए सेहत खो देता है।
सेहत पाने के लिए दौलत खो देता हैं.
जीता ऐसे है जैसे कभी मरेगा नहीं।
और मर ऐसे जाता है जैसे कभी जिया ही नहीं।
एक मिनट में जिंदगी नहीं बदलती,
एक मिनट में लिया गया फैसला जिंदगी बदल देता है।

जिसके मन का भाव सच्चा होता है...
उसका हर काम अच्छा ,होता है....
ज़िन्दगी में "खुद" को कभी किसी इंसान का "आदी" मत बनाइए।
क्यूँकि इंसान बहुत खुदगर्ज़ है।
जब आपको पसंद करता है तो आपकी "बुराई" भूल जाता है,
और जब आपसे नफरत करता है तो आपकी "अच्छाई" भूल जाता है।

आँखे बंद करके जो प्रेम करे वो "प्रेमिका" है।
आखे खोल के जो  प्रेम करे वो "दोस्त" है।
आँखे दिखा के जो प्रेम करे वो "पत्नी" है।
अपनी आँखे बंद होने तक जो प्रेम करे वो "माँ" है।
परन्तु आखो में प्रेम न जताते हुए भी, जो प्रेम करे वो "पिता"है।

ये जरुरी तो नहीं इंसान हर रोज मंदिर जाए।
बल्कि कर्म ऐसे होना चाहिए की इंसान जहा भी जाए,
मंदिर वही बन जाये।

सर झुकाने की खूबसूरती भी क्या कमाल  की होती है।
धरती पर सर रखो और दुआ आसमान में कबूल होती है।

फूलो की खुसबू सिर्फ हवा की दिशा में फैलती है ,
लेकिन अच्छे ब्यक्ति की अच्छाई हर दिशा में फैलती है।

यद् करो माँ के हाथ का खाना और चटा  दोनों बड़े लाजबाब थे
कितने भी खा लो पेट नहीं भरता था।
Note:- धर्म सन्देश कृपया आप हमारे इस पोस्ट्स को  पढ़े।
सत्य बचन -29 पांच कटुक सत्य || Five Veritable Truth सत्य बचन -29 पांच कटुक सत्य || Five Veritable Truth Reviewed by Mainuddin Ansari on Thursday, March 08, 2018 Rating: 5

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