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आपकी बातो को- गलत समझ कर जबाब देने वालो से बचने का तरीका, अपनी गलतियों को भूलने का तरीका !

बात को बतंगा बनाने वाले लोगो से बचने का तरीका!
कैसे बचे ऐसे लोगों से जो आपकी बातों का मनचाहा या फिर विपरीत अर्थ निकालते हैं !
एक फतिंगा(जिसे हम सुगा कहते है ) खेत की बांध पर बैठकर शाम ढलते देख रहा था पास से एक गाय गुज़री।
फतिंगा(सुगा) ने उसे देखकर कहा अरे! तुम तो बहुत ही बड़ी हो!
गाय ने चिढ़कर कहा तुम मुझे मोटा कह रहे हो!
नहीं नहीं! फतिंगा(सुगा) ने कहा लेकिन गाय मुंह फेरकर चली गयी!
कुछ देर बाद एक पीले पेट वाला कठफोड़वाबांध पर आकर बैठ गया, उसे देखकर फतिंगा(सुगा) ने कहा भाई तुम्हारा पेट तो बहुत पीला है!
पीले पेट वाले कठफोड़वे ने कहा तुम यह कह रहे हो कि मैं बीमार हूँ, क्या मैं डरपोक हूँ? मै  भी उतना ही बहादुर हु जितना दूसरे जीव हैमैं कोई चूजा नहीं हूँ! नाराज़गी से यह कहकर कठफोड़वा उड़ गया,
फतिंगा (सुगा) ने अपने विचार सहेजे और डूबते सूरज को देखने लगा। सामने से एक सुन्दर कुत्ता (वैसा कुत्ता जो लोग पालते हैजा रहा था।
इस बार फतिंगा (सुगा) ने सावधानी से शब्दों का चुनाव किया और कहा नमस्ते. आपकी नाक तो बहुत सुन्दर है!
सुन्दर कुत्ता ने गुर्राते हुए कहा तुम्हें मेरी नाक अटपटी लग रही है! क्या यह तुम्हें सूअर के थूथन जैसी दिख रही है? तुम मुझे अच्छे से जानते नहीं हो नहीं तो मेरे बारे में ऐसा नहीं कहते यह कहकर सुन्दर कुत्ता  अकड़ता हुआ चला गया।
फतिंगा (सुगा) सूरज को ताकता रहा। हाल ही में घटी घटनाएं उसके मन में हलचल मचा रही थीं। उसने अपने हाथ जोड़े और प्रार्थना की। वह देर तक  बढ़ पर शांति से बैठा रहा। उस दिन से ही फतिंगा (सुगाशांति से कहीं भी बैठकर प्रार्थना करते दिखते हैं और हम उन्हें ये कहते है की ये सुगा बैठ कर प्राथना कर रहा है।

फतिंगा (सुगा) की तरह हमें भी अक्सर ऐसे लोग मिलते हैं जो हमारी बातों का मकसद समझते हुए मनचाहा या फिर विपरीत अर्थ निकाल लेते हैं वास्तव में वे अपनी बातों से अपने भीतर की मनोदशा और असुरक्षा की भावना को दर्शाते हैं। उनकी ऐसी बातों को हमें अनदेखा कर देना चाहिए और उनपर गुस्सा करने की बजाय हमें उनसे सहानुभूति रखनी चाहिए साथ ही साथ हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि ऐसे लोगों के सामने हम अपने विचार अत्यंत नपे-तुले शब्दों में ही रखें और उन्हें कोई भी सलाह या फिर प्रतितिक्रिया देने से बचें।

अपनी गलतियों को भूलने का तरीका !
कभी कभी हम कुछ ऐसा कर बैठते है या बोल देते हैं जिसके लिए हमें बाद में बेहद पश्चाताप होता है। अगर आपके साथ भी हाल में ही कुछ ऐसा हुआ है तो आपको ये सब भूलने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही होगी, खासकर तब जब आपने किसी अपने का दिल दुखाया हो।
कुछ महीने पहले की बात है  मेरी एक मित्र से अनबन हो गयी हर गलत फहमियों की तरह ये भी तेजी से और अचानक हुआ।
बात ये थी की मेरा दोस्त मुझे एक नेटवर्किंग बिज़नेस में ज्वाइन करने के लिए मना रहा था   जिसके लिए मैंने उसे नम्रतापूर्वक कई बार मना करने का प्रयास किया था ये सिलसिला कयी दिनों तक चलता रहा लेकिन फिर भी मैं ये सहता रहा और फिर मेरा दोस्त मेरे दोस्त जैसा कम और सेल्समेन जैसा ज्यादा व्यवहार करने लगा,
और फिर इसी बीच उसने कुछ ऐसी टिप्पणी कर दी जिसे मैं अपना अपमान समझ बैठा और मेरे धैर्य का बांध टूट गया,  मैं तुरंत गुस्से में उसे खरी खोटी सुनाकर उस जगह से हट गया, 
उस समय तो  मुझे लगा की मैंने सही किया लेकिन बाद में मुझे अहसास हुआ कि मैं उसके कहने के मतलब को गलत समझ बैठा और जल्दबाजी में निर्णय ले बैठा,
हालाँकि बाद में अपनी गलती के लिए मैंने उससे माफ़ी मांग ली लेकिन फिर भी मुझे ये अहसास था की ये एक बड़ी गलती थी, और इससे हमारी दोस्ती टूट भी सकती थी और रहीम कवि का ये दोहा बार बार स्मरण में जाता था।
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर  ना जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाय,

इस घटना से मैंने ये सीखा की अपने आप को और अपनी गलतियों को माफ़ करने में कुछ बातें बेहद सहायक होती हैं। इन्ही बातों को आपसे साझा कर रहा हूँ।

Ø  दूसरों को दोष देना बंद करें:-
अपने आप को माफ़ करने से पहले ये जान लेना जरुरी है कि आखिर आपने किया क्या था,
आपके साथ हुयी घटना को विस्तार से लिख लें और अपने उन बातों  को भी लिखें जिससे उस घटना के घटने में मदद मिली हो, किसी और व्यक्ति या परिस्थितियों को दोष देने से बचें और सिर्फ अपने आप पर ध्यान केंद्रित करें, हो सकता है ऐसे करते समय आप असहज महसूस करें।

मेरी परिस्थिति में मैं सिर्फ अपने दोस्त के आक्रामक व्यवहार को ही देख पाया और अपनी प्रतिक्रिया को सही ठहराया। लेकिन सारी घटना को विस्तार से लिखने और एनालाइज करके सिर्फ अपने कर्मो पर ध्यान देकर मुझे महसूस हुआ की मैंने उसकी बातों का गलत अर्थ निकल कर निर्णय लिया।


Ø  माफ़ी मांगने में संकोच करें:-
कुछ इस तरह हमने अपनी जिंदगी आसान कर ली
कुछ को माफ़ कर दिया और कुछ से माफ़ी  मांग ली।

हालाँकि माफ़ी मांगना इतना आसान नहीं होता लेकिन अगर आप किसी से माफ़ी मांगने के लिए पहल करते हैं तो ये दर्शाता है कि आपसे गलती हुयी थी और आप उसके लिए शर्मिन्दा हैं और इस तरह आप वैसी गलतियों को दोहराने से बच जाते हैं।

Ø  नाकारात्मक विचारों को उत्पन्न होते ही त्याग दें:-
कभी कभी माफ़ किये जाने पर भी हम अपने आप को माफ़ नहीं कर पाते। हालाँकि मेरी मेरे मित्र से सुलह हो गयी थी लेकिन फिर में मुझे अपने अपनी गलतियों पर समय समय पर पछतावा होता रहता था बाद में धीरे धीरे मुझे ये समझ में गया की स्वयं को माफ़ करना एक बार में ही संभव नहीं है यह धीरे-धीरे समय के साथ परिपक्व होता है। इसलिए जब भी आपके मन में नाकारात्मक विचार आये गहरी सांस लेकर उसे उसी समय निकल दें और अपना ध्यान कहीं और लगायें या इस तरह की कोई प्रक्रिया जिसे आप पसंद करते हों (hobby)अपनाएँ। 

Ø  शर्म के मaरे छुपने की वजाय सामने आईये:-
अपनी किसी भयंकर गलती के बाद शर्म से छुप जाना बिलकुल भी अच्छा नहीं है, अपनी गलती के बाद मैं अपने दोस्त से नजरें मिलाने में झिझक रहा था क्यूंकि मुझे डर था की कहीं वह मुझे पिछली बात को याद करा दे लेकिन जैसे ही मैं उससे मिलने की हिम्मत जुटा पाया मैंने महसूस किया कि मेरा डर गलत था,

Ø  अपनी गलतियों के लिए आभारी बने:-
अपनी गलतियों के प्रति आभारी होना आपको बिलकुल विचित्र लगेगा खासकर वैसी गलतियां जिनसे आपको शर्मिंदगी महसूस हुयी हो या दुःख पहुंचा हो लेकिन अगर आप गौर से एनालाइज करेंगे तो पाएंगे कि ऐसी की गयी गलतियों ने आपको कितना मजबूत और सुदृढ़ किया है,  आप ये देख पाएंगे कि इन्ही गलतियों की वजह से ही आप अधिक बुद्धिमान, मजबूत और विचारशील हो पाये हैं।  



इन्ही गलतियों की वजह से ही मैं किसी भी बात पर जल्द निर्णय लेने से बचता हूँ और जब भी मैं परेशान होता हूँ तो मैं समय लेकर सोच विचार करके ही आगे की बातों को तय करता हूँ। 

Note:- कृपया आप हमारे इस पोस्ट्स को भी पढ़े। 


आपकी बातो को- गलत समझ कर जबाब देने वालो से बचने का तरीका, अपनी गलतियों को भूलने का तरीका ! आपकी बातो को- गलत समझ कर जबाब देने वालो से बचने का तरीका, अपनी गलतियों को भूलने का तरीका ! Reviewed by Mainuddin Ansari on Sunday, December 17, 2017 Rating: 5

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